MNC shares become investors' choice among governance and election concerns
फाइजर, एस्ट्राजेनेका, नेस्ले इंडिया, यूकेन इंडिया, ऑरेकल फाइनेंशियल और सैनोफी इंडिया में बड़े निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है. पिछले कुछ समय में इन कंपनियों के शेयरों में 5-15 फीसदी तक की तेजी आई है, जबकि आम तौर पर बाजार में कमजोरी का रुख है.
पिछले कुछ वक्त में सेंसेक्स में सिर्फ दो फीसदी की तेजी आई है, जबकि BSE का मिडकैप और स्मॉल कैप सूचकांक 5-6 फीसदी तक गिरा है.
घरेलू कंपनियों के शेयरों को लेकर किसी तरह का संदेह होने पर निवेशक MNC कंपनियों के शेयर में निवेश करना सुरक्षित मानते हैं. प्रभुदास लीलाधर के सीईओ (PMS) अजय बोडके ने कहा, "MNC शेयरों में दिलचस्पी की वजह उनकी साफ-सुथरी बैलेंस शीट, बढ़िया डिविडेंड, कर्ज मुक्त कारोबार और कामकाज में बेहतर पारदर्शिता है."
दिसंबर तिमाही में केनामेंटल इंडिया के शेयरों में छोटे निवेशकों की हिस्सेदारी 1.1 फीसदी बढ़ गयी है. इसी तरह सीमैक के शेयर में पिछले तीन महीने में 30% तक की तेजी आ चुकी है. इसमें भी खुदरा हिस्सेदारी 1.05 फीसदी बढ़ी है.
एवेंड्स कैपिटल के एमडी अभय लैजवाला ने कहा, "कॉर्पोरेट गवर्नेंस की खराब हालत सिर्फ अखबारों की सुर्खियां ही नहीं बनी, बल्कि इससे कंपनियों के मुनाफे पर भी असर पड़ा है."
उधर, मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने मंगलवार को कहा है कि बजट में सरकार ने राजकोषीय घाटा 3.4% रहने की बात कही है. यह देश की वित्तीय सेहत के लिए ठीक नहीं है. छोटे किसानों के लिए आमदनी की व्यवस्था और मध्य वर्ग के लिए चुनाव से पहले टैक्स छूट बढ़ाने के कारण वित्त वर्ष 2020 के लिए भी राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3.4% रखा गया है. इस वजह से शेयर बाजार में चुनाव तक उतार-चढ़ाव जारी रहने की आशंका है.
वास्तव में बहुराष्ट्रीय कंपनियों में राजनीतिक जोखिम कम होते हैं.आशिका स्टॉक ब्रोकिंग के रिसर्च हेड परस बोथरा ने कहा, "देश में चुनाव की वजह से शेयर बाजार में तेज उतार-चढ़ाव होने की आशंका है, बावजूद इसके MNC शेयर इन बातों से अप्रभावित रहते हैं."
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